इंदौर/दिल्ली, 20 अगस्त 2025।
मध्यप्रदेश कांग्रेस में संगठनात्मक फेरबदल के बाद विवाद थमता नजर नहीं आ रहा। इंदौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष चिंटू चौकसे और जिला अध्यक्ष विपिन वानखेड़े की नियुक्ति के खिलाफ कार्यकर्ताओं का विरोध और तेज हो गया है। सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक नाराजगी दिख रही है। इसी बीच कांग्रेस की दिग्गज नेता अनिल शुक्ला की बेटी और पूर्व महिला कांग्रेस अध्यक्ष साक्षी शुक्ला डागा ने आलाकमान को पत्र लिखकर “एक व्यक्ति-एक पद” के सिद्धांत की अनदेखी का मुद्दा उठाया है।

राहुल गांधी से होगी नई अध्यक्षों की क्लास
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, 24 अगस्त को दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी प्रदेश के 71 नव-नियुक्त जिला अध्यक्षों से मुलाकात करेंगे। इसे एक तरह की ट्रेनिंग क्लास बताया जा रहा है, जिसमें संगठन को मजबूत करने और लोकसभा- विधानसभा चुनावों की तैयारी का रोडमैप समझाया जाएगा।
साक्षी शुक्ला का पत्र: कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा
साक्षी शुक्ला ने खड़गे और राहुल गांधी को लिखे पत्र में कहा—
- इंदौर में “एक व्यक्ति, एक पद” के सिद्धांत का उल्लंघन हो रहा है।
- शहर अध्यक्ष के साथ-साथ नगर निगम में विपक्ष का नेता भी उसी व्यक्ति को बना दिया गया है।
- यह फैसला न केवल कार्यकर्ताओं के मनोबल को तोड़ता है बल्कि संगठन में मेहनत करने वाले अन्य नेताओं के साथ अन्याय है।
- नियुक्त व्यक्ति संगठन सृजन अभियान का हिस्सा भी नहीं थे।
उन्होंने तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि अगर उदयपुर घोषणा का पालन नहीं हुआ तो कार्यकर्ताओं का विश्वास डगमगा जाएगा।
पुतला दहन और नारेबाजी
नवनियुक्त अध्यक्षों के विरोध में कार्यकर्ताओं का गुस्सा लगातार सड़कों पर दिख रहा है।
- महूं और देपालपुर में जिला अध्यक्ष विपिन वानखेड़े और पीसीसी चीफ जीतू पटवारी का पुतला फूंका गया।
- नारे लगे— “विपिन वानखेड़े मुर्दाबाद” और “पटवारी होश में आओ”।
- सोशल मीडिया पर भी विरोधी धड़ा लगातार सक्रिय है।
यादव समाज भी उतरेगा मैदान में
कांग्रेस संगठन में यादव समाज की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए अब यह समाज भी खुलकर विरोध की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार, यादव समाज जल्द ही बैठक करेगा जिसमें प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के खिलाफ रणनीति तय की जाएगी। यहां तक कि निर्णय लिया जाएगा कि पटवारी जहां से भी चुनाव लड़ें, यादव समाज उनके खिलाफ मोर्चा खोलेगा।
दोनों नियुक्त अध्यक्षों की चुनावी हार
विरोध की एक बड़ी वजह यह भी है कि जिन नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है, वे पिछला विधानसभा चुनाव हार चुके हैं।
- चिंटू चौकसे— इंदौर-2 से चुनाव लड़े और भाजपा के रमेश मेंदोला से 1 लाख 7 हजार वोटों से हार गए। यह प्रदेश की सबसे बड़ी हार मानी गई।
- विपिन वानखेड़े— आगर से चुनाव लड़े और भाजपा प्रत्याशी मधु गहलोत से 13,002 वोटों से हार का सामना किया।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि जो नेता जनता का विश्वास नहीं जीत पाए, उन्हें संगठन की कमान सौंपना पार्टी के लिए आत्मघाती कदम है।

सियासी हलचल के बीच राहुल गांधी की मुलाकात अहम
कांग्रेस के भीतर मचे इस घमासान के बीच 24 अगस्त को होने वाली राहुल गांधी की बैठक बेहद अहम मानी जा रही है। संगठनात्मक नियुक्तियों को लेकर उठ रही आवाजें दिल्ली तक पहुंच चुकी हैं। अब सवाल यह है कि राहुल गांधी और खड़गे साक्षी शुक्ला के पत्र और कार्यकर्ताओं के गुस्से पर क्या रुख अपनाते हैं।
👉 इंदौर की यह जंग सिर्फ शहर और जिला अध्यक्ष की नियुक्ति तक सीमित नहीं, बल्कि यह कांग्रेस संगठन में लोकतंत्र, निष्पक्षता और “एक व्यक्ति-एक पद” की कसौटी की परीक्षा बन चुकी है।