इंदौर ट्रक हादसा: नो-एंट्री में मौत बनकर दौड़ा ट्रक, तीन की मौत – दर्जनों घायल

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इंदौर। सोमवार की शाम इंदौर शहर का एयरपोर्ट रोड एक भयावह मंजर का गवाह बना। सांवेर रोड से गत्ते लेकर निकला एक ट्रक (नंबर MP09 ZP 4069) नो-एंट्री में घुसा और करीब एक किलोमीटर तक मौत का पहिया बनकर दौड़ता रहा। तेज रफ्तार ट्रक ने लगभग 15 लोगों को चपेट में लिया, कई वाहनों को रौंद दिया। इस भीषण हादसे में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 12 लोग गंभीर रूप से घायल हैं।


हादसे की भयावह तस्वीरें

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक ट्रक सबसे पहले रामचंद्र नगर चौराहे पर दो बाइक सवारों को कुचलते हुए आगे बढ़ा। इनमें से एक बाइक ट्रक के नीचे फंस गई। लगातार रगड़ से बाइक में आग लगी और देखते ही देखते ट्रक और बाइक दोनों धधक उठे। इस दौरान बाइक पर सवार कैलाशचंद्र जोशी आग की लपटों में घिर गए। लोगों ने बहादुरी दिखाते हुए जलते हुए जोशी को ट्रक के नीचे से बाहर निकाला, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।


मृतकों की पहचान

  • कैलाशचंद्र जोशी – इंदौर विकास प्राधिकरण की संपदा शाखा में वरिष्ठ सहायक, अगले साल रिटायर होने वाले थे।
  • लक्ष्मीनारायण सोनी (47 वर्ष) – मेडिकैप्स कॉलेज में प्रोफेसर, वैशाली नगर निवासी। परिवार के अकेले कमाऊ सदस्य थे।
  • महेश खतवासे – इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

घायलों की हालत

  • घायलों को गीतांजलि, वर्मा यूनियन, बांठिया, अरबिंदो और भंडारी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
  • इनमें से चार एक ही परिवार के सदस्य हैं – अशोक कुमार गोपलानी, काजल देवी गोपलानी, अंकिता डूडानी और संवेद डूडानी। ये परिवार पुणे से इंदौर आया था और राजवाड़ा घूमने जा रहा था।

पुलिस और प्रशासन की चूक पर सवाल

हादसा उस समय हुआ जब शहर में ट्रकों की एंट्री पूरी तरह प्रतिबंधित रहती है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कालानी नगर पर पुलिस ने ट्रक को रोकने की कोशिश की थी, लेकिन ड्राइवर तेज रफ्तार से भाग निकला। परिवारों ने सवाल उठाए कि शहर में इतनी चेकिंग के बावजूद ट्रक कैसे घुस गया?

डीसीपी कृष्णा लालचंदानी ने पुष्टि की कि ड्राइवर शराब के नशे में था। ट्रक जब्त कर लिया गया है और चालक को गिरफ्तार कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।


प्रत्यक्षदर्शियों की कहानी

  • सुभाष सोनी – “ट्रक के ब्रेक फेल थे और ड्राइवर नशे में था। मेरे जीजा के दोनों पैर कटकर अलग हो गए।”
  • प्रदीप देवलिया – “ट्रक विद्या पैलेस से निकलकर लगातार लोगों को उड़ा रहा था। कोई रोक नहीं पाया।”
  • देवाशीष शुक्ला और राजा रघुवंशी – “हमने ही जलते हुए जोशी को ट्रक से बाहर निकाला, पर उन्हें बचा नहीं सके।”

सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया

  • मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अस्पताल पहुंचकर घायलों से मुलाकात की और परिजनों से संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा –
    “दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी। पीड़ितों के इलाज में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।”
  • गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव शिवशेखर शुक्ला और कलेक्टर शिवम वर्मा भी अस्पताल पहुंचे। कलेक्टर ने घायलों का हालचाल लिया और डॉक्टरों को हरसंभव मदद के निर्देश दिए।
  • विधायक मालिनी गौड़ और सुदर्शन गुप्ता भी घटनास्थल पहुंचे। उन्होंने कहा –
    “यह पुलिस प्रशासन की बड़ी चूक है कि नो-एंट्री में ट्रक शहर में घुस गया।”

परिजनों का दर्द

  • प्रोफेसर लक्ष्मीनारायण सोनी के भतीजे ने कहा –
    “चाचा हर रोज रात 8 बजे घर लौट आते थे। सोमवार को देर हुई तो कॉल किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। आधे घंटे बाद पुलिस घर आई और बताया कि उनका एक्सीडेंट हो गया।”
  • कैलाशचंद्र जोशी के परिजनों ने कहा –
    “इतने भारी ट्रैफिक और चेकिंग के बावजूद ट्रक कैसे घुस गया? यह प्रशासन की गंभीर लापरवाही है।”

निष्कर्ष

इंदौर का यह हादसा सिर्फ एक सड़क दुर्घटना नहीं, बल्कि प्रशासनिक चूक, शराबी ड्राइविंग और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी का घातक परिणाम है। शहर में जहां ट्रकों की एंट्री बैन है, वहां बेकाबू ट्रक ने तीन लोगों की जिंदगी छीन ली और कई परिवारों को जिंदगीभर का जख्म दे दिया। सवाल यह है कि क्या हर बार हादसे के बाद केवल जांच और संवेदना तक ही बात सिमट जाएगी, या सिस्टम इस त्रासदी से सबक लेकर कड़े कदम उठाएगा?

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