इंदौर/15 सितम्बर 2025
लोकायुक्त पुलिस ने इंदौर में सोमवार को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए आजाद नगर थाने में पदस्थ सब-इंस्पेक्टर (एसआई) धर्मेंद्र राजपूत को एक लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगेहाथों गिरफ्तार किया। यह रिश्वत एक हत्या के मामले में आरोपी को क्लीनचिट दिलाने के नाम पर मांगी गई थी।

मामला कैसे शुरू हुआ?
कुछ दिन पहले मूसाखेड़ी क्षेत्र में चोरी की शंका में एक युवक की निर्दयतापूर्वक पिटाई की गई, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने कई लोगों को आरोपी बनाया, जिनमें रामचंद्र सिंह तोमर का नाम भी शामिल था। रामचंद्र सिंह एक सिक्योरिटी कंपनी (एक्स कैप्टन सिक्योरिटी) के डायरेक्टर बताए जाते हैं।
रामचंद्र को जब अदालत से जमानत मिल गई, तो भी एसआई धर्मेंद्र राजपूत ने उन पर दबाव बनाना शुरू किया। आरोप है कि राजपूत ने रामचंद्र सिंह तोमर और उनके बेटे संतोष तोमर से कहा कि यदि वे पैसे नहीं देंगे तो हत्या के इस मामले में उन्हें गंभीर आरोपों में फंसा दिया जाएगा।
रिश्वत की मांग और सौदेबाजी
- शुरू में एसआई राजपूत ने 2 लाख रुपए की मांग की।
- फिर रकम घटाकर 1.50 लाख रुपए पर आ गया।
- अंततः सौदा 1 लाख रुपए में तय हुआ।
एसआई ने स्पष्ट कहा कि यदि पैसा दे दिया जाए तो केस में आगे कोई कार्रवाई नहीं होगी और रामचंद्र को राहत मिल जाएगी।
शिकायत और लोकायुक्त की योजना
रामचंद्र सिंह के बेटे संतोष तोमर ने साहस दिखाते हुए पूरी घटना की शिकायत लोकायुक्त पुलिस से की।
- लोकायुक्त डीएसपी सुनील कुमार तालान और एसपी राजेश सहाय के नेतृत्व में टीम ने एसआई की गतिविधियों पर नजर रखी।
- सोमवार को राजपूत ने संतोष को थाने के बाहर एक दुकान पर बुलाया।
- जैसे ही राजपूत ने रिश्वत की राशि ली, लोकायुक्त की टीम ने उसे रंगेहाथों धर दबोचा।

लोकायुक्त अधिकारियों की जानकारी
- डीएसपी सुनील कुमार तालान ने बताया कि यह पूरा मामला पहले से ही योजनाबद्ध था। शिकायतकर्ता के बयान और सबूतों को मजबूत करने के बाद जाल बिछाया गया।
- एसपी राजेश सहाय ने स्पष्ट किया कि आरोपी एसआई पिछले कई दिनों से संतोष तोमर पर दबाव डाल रहा था।
गिरफ्तारी का महत्व
यह गिरफ्तारी कई मायनों में महत्वपूर्ण मानी जा रही है:
- हत्या जैसे संवेदनशील मामले में भ्रष्टाचार की परत खुली।
- यह साफ हुआ कि आरोपी पुलिसकर्मी कैसे आरोपियों के परिवार को डराकर रिश्वत वसूलने की कोशिश कर रहे थे।
- इस कार्रवाई से यह संदेश गया कि लोकायुक्त पुलिस भ्रष्टाचारियों को बख्शने वाली नहीं है।

स्थानीय और सामाजिक प्रभाव
- इस घटना ने इंदौर पुलिस विभाग की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
- हत्या जैसे गंभीर अपराध में जहां निष्पक्ष जांच की अपेक्षा होती है, वहां रिश्वतखोरी का खेल सामने आना समाज में न्याय व्यवस्था पर अविश्वास पैदा करता है।
- वहीं, लोकायुक्त की तत्पर कार्रवाई ने आमजन को यह भरोसा दिलाया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई जाए तो न्याय मिल सकता है।