छिंदवाड़ा के रजौला गांव में गंदा पानी पीने से महिला की मौत, परिजनों ने जिला अस्पताल पर लगाया गंभीर लापरवाही का आरोप !

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छिंदवाड़ा। रजौला गांव में गंदा पानी पीने से बीमार हुई 36 वर्षीय दुर्गा चंद्रवंशी की रविवार सुबह जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए अस्पताल के गेट पर शव रखकर विरोध प्रदर्शन किया।

रजौला गांव, जो सिंगोड़ी के पास स्थित है, पिछले कुछ दिनों से गंदे पानी के कारण स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा है। 400 से अधिक लोग बीमार हुए थे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए छिंदवाड़ा कलेक्टर ने स्वयं मोर्चा संभाला और पंचायत भवन में अस्थायी अस्पताल बनवाया। दो दिनों तक ग्रामीणों का उपचार चलने के बावजूद हालत में पर्याप्त सुधार नहीं हुआ।

शनिवार की शाम, दुर्गा चंद्रवंशी को गंभीर हालत में परिजन जिला अस्पताल लेकर गए। उपचार के दौरान रविवार सुबह महिला की मौत हो गई। मृतका के परिजन का आरोप है कि अस्पताल स्टाफ ने इलाज के नाम पर ₹200 शुल्क लिया, लेकिन इसके बावजूद महिला को उचित और समय पर चिकित्सा नहीं दी गई।

परिजन सागर चंद्रवंशी ने बताया,

“हमने बार-बार स्टाफ को बताया कि महिला की हालत गंभीर है, पेट में तेज दर्द हो रहा है और हम रजौला गांव से आए हैं। लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया, सिर्फ एक बोतल चढ़ाई और बाद में ध्यान नहीं दिया।”

महिला की मौत के बाद परिजन अस्पताल के गेट पर शव रखकर विरोध करने लगे। कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और समझाने का प्रयास किया, लेकिन परिजन कलेक्टर से मिलने की मांग पर अड़े रहे।

इस दौरान प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. रवि टांडेकर भी मौके पर पहुंचे और परिजनों की बात सुनी। मीडिया द्वारा पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अभी तक उनके पास कोई शिकायत नहीं आई है, लेकिन जब शिकायत दर्ज होगी तो संपूर्ण जांच की जाएगी।

हालांकि, परिजन लगातार रोते हुए अपनी बात रख रहे थे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने जिम्मेदारी लेने से इंकार किया। कोतवाली पुलिस ने घटना की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें न्याय चाहिए और अस्पताल स्टाफ के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

यह मामला छिंदवाड़ा में पेयजल संकट और अस्पताल प्रशासन की संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल उठाता है। रजौला गांव में गंदे पानी के कारण लगातार लोग बीमार हो रहे हैं, और इस तरह की लापरवाही से जन जीवन खतरे में पड़ सकता है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि समय पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे कानूनी और सामाजिक आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।

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