जागरूकता, निगरानी और तत्काल कार्रवाई प्राथमिक लक्ष्य !

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महिला व बाल विकास विभाग, भोपाल के निर्देशानुसार कलेक्टर श्री संदीप जी. आर. ने लाडो अभियान के अंतर्गत बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने हेतु जिला स्तर पर विशेष उड़नदस्ता दल का गठन किया। इसमें अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस), जनपद सीईओ/सीएमओ, परियोजना अधिकारी (ICDS), एवं विकासखण्ड चिकित्सा अधिकारी प्रमुख सदस्य हैं। कलेक्टर ने दल को स्पष्ट रूप में निर्देश दिए हैं कि वह सक्रिय निगरानी, जनसामान्य संवेदनशीलता और त्वरित हस्तक्षेप के माध्यम से बाल विवाह के हर प्रयास को रोके।

मुख्य निर्देश एवं कार्यप्रणाली:

  • प्रशिक्षण व संवेदनशीलता कार्यशालाएँ: जिला व परियोजना स्तर पर विवाह सेवा प्रदाताओं (प्रिन्टिंग प्रेस, हलवाई, केटरर, बैंडवाला, धर्मगुरु, ट्रांसपोर्ट), कोर सदस्य, जनप्रतिनिधियों तथा एनजीओ प्रतिनिधियों के लिए लाडो अभियान की कार्यशाला आयोजित कर संवेदनशील बनाया जाएगा और उनसे शपथ ली जाएगी कि वे बाल विवाह में सेवाएं नहीं देंगे।
  • कंट्रोल रूम व रिपोर्टिंग तंत्र: परियोजना स्तर पर एक समर्पित कंट्रोल रूम स्थापित कर उसके टेलीफोन नंबर व संपर्क विवरण व्यापक रूप से प्रचारित किए जाएंगे। साथ ही पुलिस थाना, चाइल्डलाइन, कलेक्टर/अनुविभागीय कार्यालय और ICDS कार्यालयों के संपर्क नंबर सार्वजनिक किए जाएँगे।
  • सूचना-संग्रह व निगरानी सूची: 18 वर्ष से कम आयु की बालिकाओं तथा 21 वर्ष से कम आयु के बालकों की सूची तैयार की जाएगी। अनुविभागीय अधिकारी की अध्यक्षता में परियोजना अधिकारी, खण्ड चिकित्सा अधिकारी, खण्ड शिक्षा अधिकारी तथा थाना निरीक्षक के नेतृत्व में नियमित मॉनिटरिंग और निरीक्षण होगा।
  • सामूहिक विवाह में कड़ाई: सामूहिक विवाह आयोजकों से शपथ-पत्र लिया जाएगा कि वे किसी भी अल्पवयस्क को आयोजन में शामिल नहीं करेंगे। विवाह स्थल पर उपस्थित अधिकारी/कर्मचारी द्वारा वर-वधु के जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल अंकसूची, आंगनवाड़ी रिकार्ड आदि से उम्र का परीक्षण अनिवार्य होगा; दस्तावेज नहीं होने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी मेडिकल प्रमाण पत्र मान्य होगा।
  • सेवा प्रदाताओं की जिम्मेदारी: प्रिन्टिंग प्रेस में छपी विवाह पत्रिकाओं में स्पष्ट उल्लेख कराया जाएगा — “वर वधु की मान्य विवाह-योग्य आयु: पुरुष 21 वर्ष, महिला 18 वर्ष”। हलवाई, केटरर, बैन्डवाले और ट्रांसपोर्ट हेतु निर्देशित किया गया है कि वे केवल सत्यापित दस्तावेज के आधार पर सेवाएँ प्रदान करेंगे।
  • अभियान व जनजागरूकता: ग्राम-स्तर पर पंचायत सभा, स्कूल-मंडली, आशा/एएनएम मीट एवं सामुदायिक केंद्रों पर जागरूकता सत्र आयोजित कर परिवारों को कानूनी दंड, बाल विवाह के दुष्परिणाम एवं वैकल्पिक समर्थन सेवाओं की जानकारी दी जाएगी।
  • कानूनी कार्रवाई व संरक्षण: बाल विवाह की सूचना मिलने पर उड़नदस्ता दल तत्काल पहुंच कर विवाह को रोकने, संबंधित पक्षों का पूछताछ व आवश्यक कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करेगा। बाल-विवाह कराने वालों/सहयोगियों पर वैधानिक प्रावधानों के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी और पीड़ित बच्चों का समुचित संरक्षण-उपचार सुनिश्चित किया जाएगा।
  • निरंतर निगरानी व रिपोर्टिंग: प्रत्येक अनुविभाग के दल 15 दिवसांत अपनी कार्रवाई, निरीक्षण रिपोर्ट व पाए गए संभावित मामलों की सूची जिला मजिस्ट्रेट/कलेक्टर कार्यालय में प्रस्तुत करेंगे। जिला स्तर पर इन रिपोर्टों का समेकन कर आगे की रणनीति तय की जाएगी।

कलेक्टर ने स्पष्ट कहा है कि बाल विवाह को सामाजिक स्वीकार्यता देना अनुचित है और प्रशासन किसी भी हालत में इस कुप्रथा की अनुमति नहीं देगा। उन्होंने प्रत्येक अधिकारी को इस विषय को प्राथमिकता देने, समुदायों के साथ मिलकर काम करने तथा समय-समय पर तालमेल बनाए रखने के निर्देश दिए। साथ ही नागरिकों से भी अपील की गई है कि वे किसी भी संदिग्ध विवाह आयोजन की सूचना तत्काल नजदीकी पुलिस थाना या कंट्रोल रूम पर दें, ताकि समय रहते हस्तक्षेप कर बच्चों के भवितव्य व उनके अधिकार संरक्षित किए जा सकें।

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