दादा-पोते के अटूट प्रेम की मार्मिक गाथा !

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बहरी के सिहोलिया गांव में एक हृदयविदारक घटना घटी, जिसमें एक दादा ने अपने पोते की चिता में कूदकर अपनी जान दे दी। यह घटना दादा-पोते के बीच के गहरे प्रेम और लगाव को दर्शाती है, जिसे गांव वाले और परिवार वाले भी मानते थे। पोते की मौत का सदमा दादा को बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने यह कदम उठाया। 7 मार्च को अभय राज यादव (34) ने अपनी पत्नी सविता यादव (30) की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी। अभय ने पत्नी के गले पर कुल्हाड़ी से 5 वार किए और फिर खुद फंदे पर झूल गया। दोनों का अंतिम संस्कार शुक्रवार रात करीब 9 बजे किया गया। सभी लोग घर चले गए, लेकिन रात में अभय राज के दादा रामावतार यादव (65) श्मशान पहुंचे और पोते की जलती चिता में कूद गए।

अगले दिन सुबह करीब 9 बजे एक ग्रामीण को खेत के पास जलती चिता के बगल में अधजला शव मिला। उसकी पहचान रामावतार के रूप में हुई। दैनिक भास्कर की टीम ने रामावतार के दूसरे पोते और गांव वालों से बात की। इस दौरान तीन किस्से सामने आए, जिसमें दादा का पोते से लगाव झलकता है।

  1. 42 किलोमीटर की पैदल यात्रा:
    रामावतार के बड़े बेटे मुनेश यादव ने बताया कि जब अभयराज 7 साल का था, तो उसे पीलिया हो गया था। उसकी हालत इतनी खराब हो गई कि वह 5 दिन तक कुछ नहीं खा सका। रामावतार ने हार नहीं मानी और अभय को कंधे पर बैठाकर 42 किलोमीटर पैदल चलकर जनकपुर ले गए। इलाज के बाद अभय की तबीयत सुधरी और रामावतार ने मंदिर में भंडारा करवाया।
  2. कोविड के दौरान साथ:
    रामावतार के छोटे पोते शिवेंद्र यादव ने बताया कि कोविड के दौरान अभयराज संक्रमित हो गया था। पूरा गांव उससे दूर भाग रहा था, लेकिन दादा ने उसे अकेला नहीं छोड़ा। दादा ने कहा, “चाहे मेरी जान चली जाए, मैं अपने पोते के साथ ही रहूंगा।” दादा ने अभय के लिए खाना बनाया और दवा दी। अभय के ठीक होने पर गांव वालों ने दादा-पोते के इस अटूट रिश्ते को सलाम किया।
  3. शादी में साथ:
    अभयराज के छोटे भाई शिवेश यादव ने बताया कि जब अभयराज ने अपनी पसंद की लड़की से शादी करने की जिद की, तो घरवालों ने उसे डांटा और धमकाया। लेकिन दादा ने अभय का साथ दिया और कहा, “शादी अभय की है, पसंद भी उसी की होगी।” दादा ने गांव और परिवारवालों को समझाया और अभय की शादी सविता से करवाई।


इस घटना से गांव और परिवार में मातम छा गया है। अभयराज और सविता के दो बच्चे हैं – मुन्ना यादव (8 साल) और रागिनी यादव (5 साल)। परिवार में अब यही दो बच्चे बचे हैं। गांव वालों का कहना है कि रामावतार काफी भावुक व्यक्ति थे। दो साल पहले जब उनके छोटे बेटे रावेंद्र यादव की मौत हुई थी, तब भी वह टूट गए थे और खुद की जान लेने की बात कही थी। इस बार पोते की मौत ने उन्हें पूरी तरह तोड़ दिया। रामावतार के छोटे पोते अवधेश यादव ने बताया कि दादाजी ने अभयराज के अंतिम संस्कार में जाने से मना कर दिया था। उन्होंने कहा था कि वह यह मंजर नहीं देख सकते। लेकिन रात में उन्होंने ऐसा कदम उठा लिया। यह घटना दादा-पोते के बीच के अटूट प्रेम और लगाव को दर्शाती है। रामावतार यादव का यह कदम उनके पोते के प्रति उनके गहरे स्नेह को दर्शाता है। गांव और परिवार वाले इस घटना से स्तब्ध हैं और उन्हें इस दुख से उबरने में समय लगेगा।

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