सागर जिले के खुरई विकासखंड के ग्राम गैरोला जागीर की श्रीमती जमुना बाई पाल ने स्व-सहायता समूह के सहयोग से न सिर्फ अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत की, बल्कि परंपरागत हस्तकला को जीवित रखने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जमुना बाई फर्स्ट लिंक राधा स्वयं सहायता समूह की सक्रिय सदस्य हैं और आज लखपति क्लब में शामिल होकर गांव की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं।

ग्राम के नोडल अधिकारी अभिषेक चतुर्वेदी के अनुसार समूह का ₹4 लाख 50 हजार का बैंक लिंकेज हो चुका है। शासन द्वारा दी जाने वाली वित्तीय सहायता और बैंक लिंकेज ने समूह की 10 महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त किया है। समूह की मदद से महिलाओं ने अपनी पारिवारिक आय बढ़ाने के लिए कई आयमूलक गतिविधियाँ शुरू कीं।
बकरी पालन बना मजबूत आर्थिक आधार
जमुना बाई पहले से बकरी पालन से जुड़ी थीं, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण वे इस कार्य का विस्तार नहीं कर पा रही थीं। समूह से जुड़ने के बाद उन्होंने बकरी पालन में बड़ा निवेश किया—
- शुरुआत में उनके पास 4–5 बकरियाँ थीं।
- आज उनकी बकरियों की संख्या 100 तक पहुँच चुकी है।
- एक स्वस्थ बकरा ₹8,000 से ₹10,000 तक बिक जाता है।
- एक बकरी साल में 8 से 10 बच्चे देती है, जिससे लगातार आमदनी बनी रहती है।
कमजोर बकरियों और कई बार बच्चे देने वाली बकरियों का भी वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन किया जाता है। सिर्फ बकरी पालन से ही जमुना बाई ₹1 लाख से अधिक वार्षिक आय अर्जित कर लेती हैं।

इसके अतिरिक्त वे अपने खेत में फसलों व सब्जियों की खेती करके आय के और स्रोत बनाती हैं, जिससे उनका परिवार पूरी तरह आत्मनिर्भर हुआ है।
परंपरागत कला को भी दी नई पहचान
बकरी पालन के साथ-साथ जमुना बाई ने गांव की पारंपरिक कला को भी जीवंत रखा है। वे बीडीओ से मिलने वाली सामग्री से—
- चटाई
- दरी
- कंबल
जैसी वस्तुएं तैयार करती हैं।
निर्माण कार्य में उनके परिवार के बुजुर्ग सदस्य भी भाग लेते हैं, जिससे यह कला पीढ़ियों तक चलती रहेगी।
परिवार को उपलब्धियां और स्थिरता
जमुना बाई के तीन बेटे हैं—
- एक बेटा इंदौर में नौकरी करता है।
- दो बेटे खेती और बकरी पालन में सहयोग देते हैं।
आय में वृद्धि से परिवार की आर्थिक स्थिति काफी सुधरी है और आज उनका परिवार खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहा है।
जमुना बाई पाल का यह प्रयास न केवल स्व-सहायता समूह की सफलता की कहानी है, बल्कि यह ग्रामीण महिलाओं के लिए एक प्रेरणादायी उदाहरण भी है कि सही मार्गदर्शन और सामूहिक प्रयासों से आर्थिक स्वतंत्रता हासिल की जा सकती है।