डाॅ. हरी सिंह गौर की 156वीं जयंती के अवसर पर राजमाता विजयाराजे सिंधिया स्वर्ण जयंती सभागार में आयोजित ‘गौर उत्सव’ के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ शनिवार को पूर्व गृहमंत्री एवं खुरई विधायक श्री भूपेन्द्र सिंह ने किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि डाॅ. हरी सिंह गौर एशिया के ऐसे प्रथम दानवीर थे जिन्होंने अपनी पूरी निजी कमाई विश्वविद्यालय निर्माण हेतु दान में दे दी। सागर, Bundelkhand और मध्यप्रदेश ही नहीं, पूरे भारत के लाखों युवाओं का भविष्य डाॅ. गौर के कारण उज्ज्वल हुआ।
डाॅ. गौर—सागर के लिए भगवान का रूप: भूपेन्द्र सिंह
पूर्व गृहमंत्री ने कहा—
“मैं आज जो भी हूं, वह डाॅ. हरी सिंह गौर की वजह से हूं। वे सागर के लिए भगवान के समान थे।”

उन्होंने कहा कि सागर विश्वविद्यालय केवल एक संस्थान नहीं, बल्कि डाॅ. गौर का महान दान, दृष्टि और सेवा भावना का परिणाम है।
दिल्ली और नागपुर के कुलपति, सुप्रीम कोर्ट की स्थापना में भी भूमिका
भूपेन्द्र सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बताया कि—
- डाॅ. गौर दिल्ली और नागपुर विश्वविद्यालय के कुलपति रहे।
- भारत में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना उनकी पहल का परिणाम थी।
- भारत में महिला वकीलों को प्रैक्टिस की अनुमति दिलाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।
- वे संविधान सभा के सदस्य थे और दुनिया के आठ श्रेष्ठ विधिवेत्ताओं में उनका नाम शामिल था।
- उनकी कानून संबंधी किताबें आज भी लंदन के लॉ कॉलेजों में पढ़ाई जाती हैं।
- हिंदू मैरिज एक्ट के कारण हजारों महिलाएं अन्यायपूर्ण जेल जाने से बचीं।
भारत रत्न की मांग दोहराई, बोले—बहुत पहले मिल जाना चाहिए था सम्मान
पूर्व गृहमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार ने पूर्व में डाॅ. गौर को भारत रत्न देने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था।
उन्होंने घोषणा की—

“शीघ्र ही मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव से मुलाकात कर यह प्रस्ताव दोबारा भेजने का अनुरोध किया जाएगा।”
सागर विश्वविद्यालय—देश के शीर्ष संस्थानों में शामिल था
भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि 1946 में स्थापित सागर विश्वविद्यालय देश के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में था।
- मध्यप्रदेश के 22 जिलों के 160 कॉलेज इससे संबद्ध थे।
- उनकी परिकल्पना पूरी तरह वैश्विक स्तर की थी।
- भूगर्भशास्त्र, अपराधशास्त्र, मानवशास्त्र, फार्मेसी, योग, दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान, अंग्रेजी साहित्य जैसे विशेष विभाग भारत में पहली बार यहीं खोले गए।
- विदेशों से विश्वस्तरीय प्राध्यापक बुलाए गए।
- 1970-80 के दशक में यहां 25% छात्र विदेशों से आते थे।
उन्होंने अपनी छात्र राजनीति की यात्रा भी साझा की और बताया कि छात्रसंघ चुनावों के दौरान पूरे प्रदेश के कॉलेजों तक जाना एक महीने का कठिन सफर होता था।
कुछ कुलपतियों पर कटाक्ष, शिक्षा गुणवत्ता को लेकर चिंता
पूर्व मंत्री ने कहा कि पिछले वर्षों में कुछ कुलपतियों ने डाॅ. गौर की भावना के अनुरूप काम नहीं किया।
अब कुलगुरु डाॅ. वाय.एस. ठाकुर के नेतृत्व में उत्सवों में नई ऊर्जा दिखाई दे रही है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में कई नए और जरूरी पाठ्यक्रम शुरू किए जा सकते थे, जो लंबे समय से लंबित हैं।
उन्होंने विश्वविद्यालय के बायलॉज में संशोधन की जरूरत बताते हुए कहा कि—
“50% सीटें मध्यप्रदेश व बुंदेलखंड के छात्रों के लिए आरक्षित हों।”
कुलपति प्रो. वाय.एस. ठाकुर का युवा केंद्रित संबोधन
अपने संबोधन में कुलपति प्रो. ठाकुर ने विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए कहा—
- युवा ही देश की असली विकास शक्ति हैं।
- एनसीसी अनुशासन, नेतृत्व और देशभक्ति का सशक्त माध्यम है।
- युवाओं को शिक्षा के साथ सामाजिक सेवा, पर्यावरण, राष्ट्र निर्माण में भी आगे आना चाहिए।
सांस्कृतिक कार्यक्रम—प्रदेशभर से कॉलेजों ने दी शानदार प्रस्तुतियां
कार्यक्रम में दमोह, खुरई, मालथौन, शाहपुर, बोरगांव सौसर, सागर आदि के कॉलेजों ने विविध प्रस्तुतियां दीं—
- कृष्ण रासलीला — टाइम्स कॉलेज दमोह
- समूह नृत्य — आरएलएम कॉलेज खुरई
- बस्तर नृत्य — ब्रजकिशोर पटैरिया कॉलेज मालथौन
- लोकनृत्य — जुन्नारदेव कॉलेज
- नारी शक्ति थीम — ऐरीसेन्ट कॉलेज बीना
- मराठी नृत्य ‘चंदा’ — लिटिलस्टेप कॉलेज, सौसर
- फ्री स्टाइल डांस — ओमश्री कॉलेज सागर
- स्किट ‘मोबाइल से दूरी’ — मालथौन
- हिंदी ग्रुप डांस — लिटिलस्टेप कॉलेज सौसर
- बधाई नृत्य — मालथौन
कार्यक्रम का संचालन डाॅ. अवनीश मिश्रा ने किया और आभार प्रदर्शन डाॅ. अजय श्रीवास्तव ने किया।
समारोह में शहर के गणमान्य नागरिक, विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी और बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद रहे।