सागर। बुंदेलखंड चिकित्सा महाविद्यालय सागर में अधिष्ठाता डॉ. पी.एस. ठाकुर के मार्गदर्शन में फोरेंसिक मेडिसिन एवं टॉक्सिकोलॉजी विभाग द्वारा 7 नवंबर, शुक्रवार को एक दिवसीय कंटीन्यूइंग मेडिकल एजुकेशन (CME) का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य चिकित्सकों एवं स्नातकोत्तर छात्रों को मेडिकोलीगल मामलों में उत्पन्न होने वाली जटिलताओं और उनके कानूनी पहलुओं की गहन समझ प्रदान करना था।

इस अवसर पर अधिष्ठाता डॉ. ठाकुर ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि आधुनिक चिकित्सकीय व्यवस्था में मेडिकोलीगल प्रकरणों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने ऐसे मामलों में चिकित्सकों की जिम्मेदारियों, सावधानियों एवं दस्तावेज़ी प्रक्रिया पर विस्तार से जानकारी दी।
विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र पटेल ने एमसीसीडी (Medical Certification of Cause of Death) फॉर्म के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे सही ढंग से भरने की तकनीकी प्रक्रिया समझाई। उन्होंने बताया कि चिकित्सकों द्वारा की गई छोटी सी त्रुटि भी कानूनी परिणामों को प्रभावित कर सकती है, इसलिए इस प्रक्रिया को पूर्ण सावधानी और समझ के साथ किया जाना चाहिए।

यह सीएमई मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल द्वारा अनुमोदित रही तथा काउंसिल द्वारा नियुक्त निरीक्षक डॉ. प्रियमवदा कुर्वेती की देखरेख में सफलतापूर्वक संपन्न हुई। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों और वक्ताओं को एमपीएमसी द्वारा निर्धारित क्रेडिट ऑवर प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बीएमसी के चिकित्सक, स्नातकोत्तर विद्यार्थी एवं शिक्षण स्टाफ उपस्थित रहे जिन्होंने फोरेंसिक विज्ञान और विधिक प्रक्रियाओं पर आधारित इस शैक्षणिक सत्र को अत्यंत उपयोगी बताया।