गीता जयंती के मौके पर ऐतिहासिक आयोजन: 12 दिसंबर 2024 को भोपाल के मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में एक ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां 5,000 से अधिक आचार्य और प्रतिभागियों ने एक साथ गीता के तीसरे अध्याय ‘कर्म योग’ का सामूहिक सस्वर पाठ किया। यह कार्यक्रम गीता जयंती के अवसर पर आयोजित किया गया और इस आयोजन ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा लिया। कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में रिकॉर्ड की घोषणा की गई, और इसके बाद उन्हें गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट सौंपा गया।

कार्यक्रम का महत्व और विश्व रिकॉर्ड: यह सामूहिक गीता पाठ राज्यस्तरीय कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया था, जिसमें 5,000 से ज्यादा आचार्य और अन्य श्रद्धालु उपस्थित थे। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य भगवद गीता की शिक्षा और भारतीय संस्कृति के महत्व को बढ़ावा देना था। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के एजुकेटर विश्वनाथ ने इस रिकॉर्ड की घोषणा की और बताया कि यह अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक गीता पाठ था। इस रिकॉर्ड ने मध्यप्रदेश को न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे दुनिया में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दिलाई।
मुख्यमंत्री का भाषण: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्यक्रम में कहा कि, “हमने इंद्र का दरबार नहीं देखा, लेकिन आज उसका लघु रूप यहां दिखाई दे रहा है। 5,000 साल पहले जो रिकॉर्ड बना था, उस समय गिनीज बुक नहीं थी, लेकिन उस समय भगवान के मुखारबिंद से निकले एक-एक शब्द लिपिबद्ध हुए थे। आज एमपी नहीं, बल्कि दुनिया में भगवान के मुंह से निकले गीता के पाठ का रिकॉर्ड बना है।” उन्होंने आगे कहा कि यदि भविष्य में कोई और इससे बड़ा कार्यक्रम करता है, तो उन्हें खुशी होगी। सीएम ने गीता पाठ की महिमा को बताते हुए कहा कि यह ज्ञान का स्रोत है जो दुनिया भर में लोगों के जीवन को प्रेरित करता है।

समाज का सशक्तीकरण और गीता की शिक्षा: सीएम डॉ. मोहन यादव ने गीता के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह पवित्र धर्मग्रंथ समाज को जीवन की सही दिशा दिखाता है। उन्होंने यह भी बताया कि गीता की शिक्षा ने हर युग में लोगों को कर्म, योग और धर्म का पाठ पढ़ाया है। कार्यक्रम के माध्यम से मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को गीता की महिमा से जोड़ने का प्रयास किया और राज्य में सनातन संस्कृति को बढ़ावा देने का संदेश दिया।
आधुनिक तकनीक का उपयोग: कार्यक्रम में प्रत्येक आचार्य और प्रतिभागी को हाथ में एक बैंड पहनाया गया था, जिसमें एक QR कोड था। इस QR कोड का उपयोग पाठ करने वाले प्रतिभागियों की गिनती करने के लिए किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं और बच्चे भी शामिल हुए थे, जिससे इस आयोजन को एक सर्वधर्म समभाव का प्रतीक माना गया।

पर्यटन केंद्रों पर गीता की प्रस्तुति: कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि मध्यप्रदेश के पर्यटन केंद्रों पर अब गीता की प्रति रखी जाएगी। साथ ही, गीता, वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस को प्रदेश के होटलों में रखने की पहल की जाएगी, ताकि पर्यटकों को इन पवित्र धर्मग्रंथों की महिमा से अवगत कराया जा सके।
बटुकों का योगदान: इस कार्यक्रम में गुना जिले के श्री परशुराम संस्कृत वेद विद्या गुरूकुल कुंभराज से 40 बटुकों ने भी भाग लिया। इन बटुकों ने गीता के 18वें अध्याय के 70 श्लोक कंठस्थ किए हुए थे और सामूहिक गीता पाठ में उनका योगदान उल्लेखनीय था। कार्यक्रम में सभी आचार्यों और बटुकों को सरकार द्वारा ढाई-ढाई हजार रुपए की राशि उनके बैंक खातों में ट्रांसफर करने की घोषणा की गई।

मध्यप्रदेश सरकार का जनकल्याण पर्व: मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान यह भी बताया कि प्रदेश सरकार के एक साल पूरे होने पर ‘जन कल्याण पर्व’ का आयोजन शुरू किया गया है, जिसमें 40 दिनों तक 76 प्रकार की सरकारी योजनाओं से लोगों को जोड़ा जाएगा।
गीता जयंती का महत्व: गीता जयंती हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन मनाया जाता है। यह दिन उस समय को याद करता है जब भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध भूमि पर अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। गीता में कर्म, योग, भक्ति और ज्ञान का समन्वय है, जो न केवल हिंदू धर्म बल्कि पूरी मानवता के लिए जीवन के सर्वोत्तम सिद्धांत प्रस्तुत करता है।
भोपाल में आयोजित गीता पाठ का यह कार्यक्रम एक ऐतिहासिक अवसर था, जिसने न केवल मध्यप्रदेश बल्कि भारत और दुनिया भर में गीता के संदेश को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह आयोजन गीता की शिक्षा के प्रति लोगों की श्रद्धा और समर्पण को दर्शाता है और एकता, सद्भाव और धर्म के महत्व को उजागर करता है।