मध्यप्रदेश के रहली में भक्तमाल कथा महोत्सव का समापन: श्री श्री 108 किशोरदास जी महाराज ने किया व्याख्यान !

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रहली, 12 दिसंबर 2024
मध्यप्रदेश के रहली क्षेत्र में चल रही पांच दिवसीय भक्तमाल कथा महोत्सव का आज (गुरुवार) समापन हुआ। इस अवसर पर श्रीधाम वृंदावन से पधारे श्री श्री 108 किशोरदास जी महाराज ने व्यास पीठ से भगवान और भक्त की एकरूपता के विषय पर व्याख्यान किया। उन्होंने रसिकवर भगवत रसिक जू देव महाराज के वृत्तांत का सुंदर रूप से वर्णन किया, जिससे उपस्थित श्रद्धालुओं को परमात्मा के प्रति भक्ति की गहरी समझ प्राप्त हुई।

कथा के अंतिम दिन श्री श्री 108 किशोरदास जी महाराज ने गढ़ाकोटा नगर के धर्म क्षेत्र पटेरिया जी में भी भक्तों को संबोधित किया। कथा का यह आयोजन बड़ी धूमधाम से किया गया, जिसमें क्षेत्र एवं जिले के प्रमुख जनप्रतिनिधिगण, समाजसेवी और श्रद्धालुजन शामिल हुए।

कथा का आयोजन और प्रमुख व्यक्ति:

कथा के अंतिम दिन भक्तमाल कथा महोत्सव में शामिल होने के लिए सागर जिले के कई प्रमुख लोग उपस्थित थे। श्री गोविंद सिंह राजपूत, मंत्री मध्यप्रदेश शासन, श्री धर्मेंद्र सिंह लोधी, मंत्री मध्यप्रदेश शासन, श्री वृन्दावन अहिरवार, नगर निगम अध्यक्ष सागर, श्री प्रीतम लोधी, भाजपा जिलाध्यक्ष दमोह, श्री शैलेश कैशरवानी, श्री अजय तिवारी, कुलपति एस. वी. एन विश्वविद्यालय सागर, श्री सुखदेव मिश्रा, श्री राम अवतार पाण्डेय और श्री हरिराम सिंह ठाकुर, पूर्व जिलाध्यक्ष सागर, समेत कई अन्य जनप्रतिनिधि और धर्म प्रेमी सज्जन इस धार्मिक आयोजन का हिस्सा बने।

कथा का उद्देश्य और संदेश:

इस कथा महोत्सव का मुख्य उद्देश्य भगवान और भक्त के बीच की गहरी एकता को समझाना और उनके बीच के संबंध को उजागर करना था। श्री श्री 108 किशोरदास जी महाराज ने अपने व्याख्यान में इस विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वास्तविक भक्ति वह है जब भक्त और भगवान एक हो जाते हैं। भक्ति केवल पूजा और मंत्रों का जाप नहीं, बल्कि दिल से भगवान से जुड़ने का एक तरीका है।

महाराज जी ने यह भी कहा कि भगवान की सच्ची भक्ति में ही मुक्ति का मार्ग है, और हर व्यक्ति को अपने जीवन में भगवान से जुड़ने की कोशिश करनी चाहिए। उनका कहना था कि जब भक्त भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करता है, तो वह भगवान के आशीर्वाद से समृद्ध होता है और आत्मिक शांति प्राप्त करता है।

श्रद्धालुओं की सहभागिता:

कथा में उपस्थित श्रद्धालुजन ने इस ज्ञानवर्धक व्याख्यान को बड़े ध्यान से सुना और हर शब्द को आत्मसात किया। कक्षा में बैठने वाले सभी भक्तों के मन में भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति का भाव उत्पन्न हुआ। साथ ही, इस आयोजन ने समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देने का कार्य किया।

समाप्ति और आशीर्वाद:

कथा महोत्सव के समापन पर श्री श्री 108 किशोरदास जी महाराज ने उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया और भगवान की भक्ति में निरंतर आगे बढ़ने का प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति बनाए रखनी चाहिए, ताकि जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आए।

इसके साथ ही, कथा महोत्सव का समापन भव्य आरती के साथ हुआ, जिसमें सभी श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से भव्य आरती में भाग लिया। इस दौरान भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की गई और यह आयोजन एक मंगलमय माहौल में समाप्त हुआ।

भक्तमाल कथा महोत्सव ने इस क्षेत्र के लोगों को भक्ति, धर्म और एकता का अद्वितीय संदेश दिया। श्री श्री 108 किशोरदास जी महाराज के प्रेरणादायक व्याख्यान और भगवान के प्रति श्रद्धा ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया। इस कथा ने न केवल धार्मिक विचारों को मजबूत किया, बल्कि समाज में मानवता और एकता का संदेश भी फैलाया।

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