घटना का विवरण: सागर जिले के दक्षिण वन मंडल के अंतर्गत नेशनल हाईवे-44 पर स्थित चौपड़ा के पास एक नर तेंदुआ का शव मिला है। तेंदुए के शरीर पर चोटों के निशान पाए गए हैं, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि उसकी मौत अज्ञात वाहन की टक्कर से हुई है। वन विभाग की टीम ने घटना की सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचकर शव का पंचनामा बनाया और शव को परीक्षण के लिए जबलपुर वेटरनरी कॉलेज भेज दिया। इस मामले में वन विभाग की टीम जांच कर रही है।

घटनास्थल और सूचना: यह घटना सागर-नरसिंहपुर नेशनल हाईवे-44 पर स्थित चौपड़ा के पास हुई, जहां सूचना मिलने के बाद वन विभाग की टीम घटनास्थल पर पहुंची। रेंज अधिकारी प्रतीक श्रीवास्तव ने बताया कि तेंदुए का शव मृत अवस्था में सड़क पर पड़ा था। उन्होंने बताया कि यह तेंदुआ लगभग 3 से 4 साल का था और अनुमान है कि यह तेंदुआ जंगल से निकलकर सड़क पार कर रहा होगा, जब उसे किसी अज्ञात वाहन ने टक्कर मारी।
तेंदुए के शरीर पर चोट के निशान: मृत तेंदुए के मुंह और खोपड़ी समेत शरीर के अन्य हिस्सों पर चोटों के निशान मिले हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उसकी मौत वाहन की टक्कर से हुई। वन विभाग का मानना है कि तेंदुआ नेशनल हाईवे पार करने की कोशिश कर रहा था, तभी किसी वाहन की टक्कर से उसकी मौत हो गई। यह दुर्घटना वन्यजीवों के लिए सड़क दुर्घटनाओं के खतरों को फिर से उजागर करती है, खासकर जब वे मुख्य मार्गों पर विचरण करते हैं।
क्षेत्र और तेंदुआ का विचरण: घटनास्थल के पास जंगलों का इलाका है, जिसमें बिजौरा, रानगिर, बरकोटी, नाहरमऊ और केसली से सिलवानी के जंगल जुड़ते हैं। ये सभी इलाके तेंदुए के विचरण क्षेत्र के तहत आते हैं, और इन जंगलों में तेंदुए की आम उपस्थिति देखी जाती है। वन्यजीवों की गतिविधि मुख्य रूप से इन घने जंगलों में होती है, लेकिन कभी-कभी वे इन जंगलों से बाहर आकर मुख्य सड़कों तक भी पहुंच जाते हैं, जिससे सड़क दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।

पिछली घटनाएँ और समस्या: यह पहली बार नहीं है जब इस क्षेत्र में तेंदुए की सड़क दुर्घटना में मौत हुई है। लगभग छह साल पहले भी चौपड़ा के पास नेशनल हाईवे-44 पर एक तेंदुए की मौत हो चुकी थी। यह घटनाएं यह दर्शाती हैं कि नेशनल हाईवे के आसपास वन्यजीवों का विचरण और सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ रहा है। ऐसे मार्गों पर वन्यजीवों के संरक्षण के लिए प्रभावी उपायों की आवश्यकता है।
वन विभाग की प्रतिक्रिया: वन विभाग इस मामले की जांच कर रहा है और तेंदुए की मौत के कारणों का निर्धारण कर रहा है। विभाग ने शव को परीक्षण के लिए जबलपुर वेटरनरी कॉलेज भेज दिया है ताकि तेंदुए की मौत के सही कारणों का पता चल सके। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए कार्रवाई करेंगे।
इस घटना ने वन्यजीवों के लिए सड़क सुरक्षा के मुद्दे को फिर से उठाया है। वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि वन्यजीवों के लिए सुरक्षित रास्ते बनाए जाएं और मुख्य सड़कों पर वाहन चालकों को वन्यजीवों के मौजूदगी के बारे में जागरूक किया जाए। यह आवश्यक है कि सड़क पर वाहनों की गति को नियंत्रित किया जाए और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए रास्ते और पुलों का निर्माण किया जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं से बचा जा सके।