राज्यसभा सभापति धनखड़ और विपक्षी नेता खड़गे के बीच बहस !

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धनखड़ बोले- मैंने बहुत बर्दाश्त किया, खड़गे ने कहा- आप सम्मान नहीं करते !

घटना का विवरण: शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024 को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी दलों ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था, जिसके जवाब में भाजपा सांसद राधामोहन दास अग्रवाल ने विशेषाधिकार हनन का नोटिस पेश किया। इस मुद्दे को लेकर राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच तीखी बहस हुई। यह बहस उस समय हुई जब दोनों नेताओं के बीच कड़ी टिप्पणियां और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला, जिससे सदन में हंगामा मच गया।

धनखड़ का बयान: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बहस के दौरान कहा, “मैंने बहुत सहा है। मैं किसान का बेटा हूं, मैं कभी नहीं झुकता। विपक्ष ने संविधान की धज्जियां उड़ा दी हैं।” उन्होंने विपक्षी दलों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी पार्टी और अन्य विपक्षी नेता संसद के सम्मान के प्रति अपनी जिम्मेदारी से कन्नी काट रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने बहुत संयम बनाए रखा है, लेकिन अब वे और अधिक सहन नहीं कर सकते।

खड़गे का पलटवार: धनखड़ के इस बयान का मल्लिकार्जुन खड़गे ने कड़ा जवाब दिया। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा, “आप हमारी पार्टी के नेताओं का अपमान करते हैं। आपका काम सदन चलाना है, हम यहां आपकी तारीफ सुनने के लिए नहीं आए हैं। आप किसान के बेटे हैं, तो मैं भी मजदूर का बेटा हूं। आप हमें सम्मान नहीं देते तो मैं आपका सम्मान क्यों करूं?” खड़गे ने सभापति की कार्यशैली पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा विपक्षी नेताओं के खिलाफ पक्षपाती रवैया अपनाया है, और यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।

सभा का स्थगन: इस विवाद के बाद सभापति धनखड़ ने राज्यसभा की कार्यवाही को सोमवार, 16 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया। उन्होंने खड़गे को अपने केबिन में मुलाकात करने के लिए बुलाया और कहा कि वह इस मुद्दे पर उनसे सीधे संवाद करेंगे। यह घटना संसद की कार्यवाही के दौरान एक अभूतपूर्व मोड़ पर पहुंच गई, जिससे दोनों पक्षों के बीच संबंधों में खटास आई।

अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस: विपक्षी दलों ने 4 दिसंबर को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया था। इस नोटिस पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), आम आदमी पार्टी (AAP), समाजवादी पार्टी (SP), द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), सीपीआई (M) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) समेत 60 सांसदों के हस्ताक्षर थे। विपक्ष का आरोप है कि धनखड़ पक्षपाती तरीके से सदन की कार्यवाही चला रहे हैं और विपक्षी नेताओं को बोलने का पर्याप्त मौका नहीं दिया जाता। उनका मानना है कि सभापति का रवैया लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है।

धनखड़ की भूमिका: जगदीप धनखड़ को 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में चुना गया था। इससे पहले वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे, और उनके राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए उन्हें उपराष्ट्रपति का पद सौंपा गया था। लेकिन राज्यसभा के सभापति बनने के बाद से विपक्षी दलों ने उन पर कई बार आरोप लगाए हैं कि वे पक्षपाती तरीके से सदन की कार्यवाही को नियंत्रित करते हैं। उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस उसी का हिस्सा है, जिसमें विपक्षी दल उनके आचरण पर सवाल उठा रहे हैं।

संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत: शीतकालीन सत्र के पहले दिन भी राज्यसभा में धनखड़ और खड़गे के बीच तीखी बहस हुई थी। इस दिन राज्यसभा के सभापति ने संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर खड़गे से उम्मीद जताई थी कि वे संविधान की मर्यादा बनाए रखेंगे। इसके जवाब में खड़गे ने कहा, “इस संविधान को बनाए रखने में मेरा योगदान भी 54 साल का है, तो आप मुझे मत सिखाइए।” यह बयान भी दोनों के बीच एक और विवाद का कारण बना।

राज्यसभा में सभापति धनखड़ और विपक्षी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच की बहस ने संसद के सत्र की कार्यवाही को प्रभावित किया है। विपक्ष का आरोप है कि धनखड़ पक्षपाती रवैया अपनाते हैं, जबकि सभापति का कहना है कि विपक्ष ने संविधान और सदन की मर्यादा को ठेस पहुंचाई है। इस मामले के बाद अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या धनखड़ की कार्यशैली पर आगे कोई सुधार होगा या इस विवाद से सदन की कार्यवाही में और तनाव पैदा होगा।

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