रिटायर्ड इंजीनियर सत्य कुमार चक्रवर्ती नेत्रदान कर अमर हुए !

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सागर। शुक्रवार सुबह लगभग पांच बजे सागर शहर के आजमनी कैम्पस मकरोनिया निवासी एवं रिटायर्ड इंजीनियर प्रोफेसर श्री सत्य कुमार चक्रवर्ती का राय अस्पताल में निधन हो गया। वे लंबे समय से सांस की बीमारी से पीड़ित थे और अचानक ब्रेन स्ट्रोक आने से उनका देहांत हो गया।

जीवनकाल में ही दिवंगत प्रोफेसर ने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती क्षिप्रा चक्रवर्ती से यह इच्छा व्यक्त की थी कि मरणोपरांत वे नेत्रदान करना चाहते हैं। उनकी इस अंतिम इच्छा को उनके परिजनों ने पूरे सम्मान के साथ पूरा किया। निधन के मात्र ढाई घंटे बाद बेटी नवनीता भट्टाचार्य ने बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (बीएमसी) सागर के नेत्र रोग विभाग के एचओडी डॉ. प्रवीण खरे को सूचना दी।

सूचना मिलते ही आई बैंक की टीम राय अस्पताल पहुंची और परिजनों की लिखित सहमति लेने के बाद, सभी चिकित्सकीय एहतियातों का पालन करते हुए दिवंगत श्री चक्रवर्ती की दोनों आंखों के कॉर्निया को सुरक्षित निकालकर आई बैंक में संरक्षित किया।

इस अवसर पर चिकित्सकों ने दिवंगत के परिजनों—धर्मपत्नी श्रीमती क्षिप्रा चक्रवर्ती, बेटे रविशंकर चक्रवर्ती और बेटी नवनीता भट्टाचार्य—का समाजहित में किए गए इस पुण्य कार्य के लिए आभार व्यक्त किया।

आई बैंक विभाग के चिकित्सकों ने बताया कि नेत्रदान एक मरणोपरांत दान है, जो पूरी तरह से स्वैच्छिक और समाज के हित में किया जाने वाला पवित्र कार्य है। इससे नेत्रहीनों को नई रोशनी मिलती है और जीवन को देखने का अवसर प्राप्त होता है। उन्होंने समाज के सभी वर्गों से आग्रह किया कि अधिक से अधिक लोग नेत्रदान के लिए आगे आएं और इस महापुण्य से जुड़ें।

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