सागर की राजनीति में बड़ा बदलाव: डॉ. लता वानखेड़े बनी भाजपा की प्रदेश महामंत्री !

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सागर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सागर जिले की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। सांसद डॉ. लता वानखेड़े को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की कार्यकारिणी में प्रदेश महामंत्री बनाया गया है। भाजपा में प्रदेश महामंत्री संगठन का एक बेहद प्रभावशाली पद माना जाता है। इस ताजपोशी के साथ ही डॉ. वानखेड़े को पार्टी का दूसरा सबसे बड़ा पद मिल गया है, और अब वे निर्णय सर्कल का हिस्सा होंगी, जिसमें मुख्यमंत्री, प्रदेशाध्यक्ष और चुनिंदा शीर्ष नेता शामिल रहते हैं।

प्रदेश महामंत्री का दायित्व और भूमिका

प्रदेश महामंत्री का पद केवल सम्मान का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसमें संगठन और चुनाव दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां शामिल होती हैं। विभिन्न चुनावों में, विशेषकर नगर निकाय चुनावों में टिकट चयन, राजनीतिक नियुक्तियां, अभियान प्रबंधन और पार्टी संदेश व रणनीति तय करने में प्रदेश महामंत्री की अहम भूमिका होती है।

सागर संभाग के छह जिलों में एक महापौर, 13 नगर पालिकाएं और 43 नगर परिषदें हैं, जिनमें कुल 1010 पार्षद पद हैं। इनका चुनाव जुलाई 2027 में होना है। भले ही नामांकन और रायशुमारी स्थानीय स्तर पर होगी, लेकिन फाइनल निर्णय पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा किया जाएगा। ऐसे में डॉ. वानखेड़े का प्रदेश महामंत्री के रूप में यह काम महत्वपूर्ण रहेगा।

सागर में गुटबाजी: चुनौती और अवसर

डॉ. वानखेड़े ऐसे समय इस पद पर पहुंची हैं, जब सागर में भाजपा गुटबाजी की स्थिति बेहद जटिल है। पार्टी कई गुटों में बंटी हुई है, और प्रदेश नेतृत्व भी इसे सुलझाने में सक्षम नहीं हो पा रहा है।

उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे खुद को निर्गुट और निष्पक्ष साबित करें, ताकि सागर की गुटबाजी को रोकने और समाप्त करने में सफल हों। पार्टी ने उन्हें इस पद पर इसलिए नियुक्त किया होगा कि वे इस जिम्मेदारी को निभाते हुए संगठन को मजबूत करें। यदि वे इसे सफलतापूर्वक निभा लेंगी, तो उनके राजनीतिक भविष्य के लिए नई संभावनाएं खुल जाएंगी।

18 साल बाद सागर को मिला प्रदेश महामंत्री

सागर जिले को 18 साल बाद प्रदेश महामंत्री का पद मिला है। पिछली बार यह पद 2005-07 में पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के पास था, जब नरेंद्र सिंह तोमर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष थे। उसके बाद सागर के नेताओं को प्रदेश मंत्री या उपाध्यक्ष के रूप में कार्यकारिणी में जगह मिलती रही, लेकिन प्रदेश महामंत्री तक कोई नहीं पहुंच पाया। अब डॉ. वानखेड़े को यह जिम्मेदारी मिली है।

बुंदेलखंड में भाजपा का गढ़ और सत्ता-संगठन में हिस्सेदारी

बुंदेलखंड भाजपा का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है। लोकसभा की चारों सीटें भाजपा के पास हैं, वहीं विधानसभा की 26 में से 21 सीटें भाजपा के पास हैं। बावजूद इसके, मोहन सरकार में बुंदेलखंड का दबदबा शिवराज सरकार की तरह नहीं रहा।

शिवराज सिंह चौहान के अंतिम कार्यकाल में बुंदेलखंड से चार कैबिनेट मंत्री और एक राज्यमंत्री कार्यरत थे, जबकि वर्तमान में केवल एक कैबिनेट मंत्री और तीन राज्यमंत्री हैं। केंद्र में भी पहले दो मंत्री थे, अब केवल एक ही बचा है। ऐसे में संगठन ने बुंदेलखंड का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए डॉ. लता वानखेड़े को प्रदेश महामंत्री बनाया।

राजनीतिक पृष्ठभूमि और मुख्यमंत्री से करीबी

डॉ. लता वानखेड़े, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की बड़ी बहन और उज्जैन नगर निगम की अध्यक्ष कलावती यादव की करीबी रही हैं। सांसद का टिकट दिलाने से लेकर संगठन में प्रदेश महामंत्री बनने तक में कलावती यादव के माध्यम से मुख्यमंत्री का सहयोग भी उन्हें मिला। डॉ. वानखेड़े पहले ग्राम पंचायत में पंच और सरपंच रही हैं, महिला आयोग की अध्यक्ष और भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष के पदों पर भी रही हैं। यह अनुभव उन्हें संगठन और चुनाव दोनों स्तरों पर मजबूत बनाता है।

ब्यूरो रिपोर्ट रिपब्लिक सागर मीडिया !
संवाददाता – अर्पित सेन
7806077338, 9109619237

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