ग्वालियर। दीपावली के अवसर पर शहर में कार्बाइड और देसी पोटाश गन के प्रयोग से आंखों में चोट के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। शनिवार को अलग-अलग अस्पतालों में 6 नए मरीज भर्ती हुए, जिन्हें इलाज के लिए चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया है। अब तक ग्वालियर में कुल 44 लोग इन खतरनाक विस्फोटकों की चपेट में आ चुके हैं।
जिला स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, शनिवार रात 10 बजे तक जेएएच, जिला अस्पताल, रतन ज्योति नेत्रालय और अन्य निजी अस्पतालों में पहुंचने वाले सभी मरीजों की आंखें झुलस गई थीं। प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें दो दिन की दवा दी गई और सोमवार को पुनः जांच के लिए बुलाया गया है। डॉक्टरों ने बताया कि घायलों में अधिकांश की उम्र 13 से 35 वर्ष के बीच है, जो कुल मामलों का लगभग 60 प्रतिशत है।

चेतावनी के बावजूद लोग भूल रहे खतरा
डॉक्टरों का कहना है कि कार्बाइड और देसी पोटाश गन बच्चों और युवाओं में उत्सुकता का कारण जरूर बनती है, लेकिन असल में ये “मिनी बम” के समान काम करती हैं। हर साल इस कारण आंखों और हाथों में गंभीर चोट के कई मामले सामने आते हैं, फिर भी लोग चेतावनी को नजरअंदाज कर दोहराई जा रही गलती को जारी रखते हैं। डॉ. गजराज सिंह गुर्जर ने बताया कि लोग इन खतरनाक गनों से पूरी तरह दूरी बनाएं और सोशल मीडिया पर इसके प्रचार को भी रोका जाए।
प्रशासन ने मौके पर लिया संज्ञान
गोल पहाड़िया निवासी ओम जाटव गंभीर रूप से घायल हुए। पहले उन्हें जेएएच में भर्ती किया गया, उसके बाद उच्च स्तर के उपचार के लिए रेफर किया गया। निजी संस्थान में डॉक्टरों ने आंख बचाने के लिए 10 से 15 हजार रुपये के इंजेक्शन की जानकारी दी। इस पर सीएमएचओ डॉ. सचिन श्रीवास्तव सीधे गोल पहाड़िया पहुंचे और घायल ओम से हालचाल पूछा। उन्होंने तत्काल कलेक्टर रूचिका चौहान से संपर्क किया, जिन्होंने रेडक्रॉस के माध्यम से आर्थिक सहायता दिलाने का आश्वासन दिया।
ओम जाटव के 12 वर्षीय भाई मयंक ने बताया कि यह कार्बाइड गन खुलेआम बाजार में मिल रही है, सस्ती होने के कारण आसानी से खरीदी जा रही है। यह गन नेहरू पेट्रोल पंप के पास दूधवाले की दुकान पर मात्र 150 रुपए में उपलब्ध है।
पुलिस लगातार कर रही कार्रवाई
ग्वालियर में पहले भी कार्बाइड गन के कारण कई आंख चोटिल हुए हैं, लेकिन इस बार प्रशासन ने कड़ा कदम उठाया है। कलेक्टर रूचिका चौहान ने धारा 163 के आदेश जारी कर कार्बाइड गन के क्रय, विक्रय और उपयोग पर रोक लगाई। इसके बाद एसएसपी ग्वालियर धर्मवीर सिंह ने टीम को कार्रवाई के निर्देश दिए। पुलिस लगातार इन गनों का उपयोग करने वालों पर सख्ती बरत रही है।

सावधानी और चेतावनी
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति की आंख में कार्बाइड या पोटाश गन के कारण चोट लगे, तो आंख को रगड़ना बिल्कुल न करें। आंख को रगड़ने से कार्बाइड के कण अंदर घुस सकते हैं, जिससे स्थायी नुकसान हो सकता है। सबसे बड़ा खतरा कॉर्निया की क्षति का है। कई मामलों में आपातकालीन सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बनती है।
कार्बाइड गन — सस्ती लेकिन घातक
बाजार में 100 से 200 रुपए में मिलने वाली यह गन अब ‘खतरनाक ट्रेंड’ बन चुकी है। इसमें भरा कैल्शियम कार्बाइड पानी के संपर्क में आने पर एसीटिलीन गैस उत्पन्न करता है। यह गैस विस्फोट के साथ जलती है और कुछ ही सेकंड में आंखों, चेहरे और त्वचा को झुलसा देती है।