हितग्राहियों को समय पर लोन उपलब्ध कराने पर जोर, डीएलसीसी बैठक में बैंकर्स को दिए सख्त निर्देश !

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कलेक्टर श्री संदीप जी. आर. के निर्देशानुसार जिला पंचायत सीईओ श्री विवेक के. वी. की अध्यक्षता में जिला स्तरीय ऋण समन्वय समिति (DLCC) की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक की विशेषता यह रही कि पहली बार जिले के सभी बैंकर्स और विभिन्न योजनाओं के हितग्राही एक साथ बैठे। इससे बैंकिंग प्रक्रियाओं में आने वाली वास्तविक समस्याओं को मौके पर ही सुना गया और उनका तत्काल समाधान भी निकाला गया।

जिला पंचायत सीईओ श्री विवेक के. वी. ने स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी बैंकर्स यह सुनिश्चित करें कि हितग्राहियों को बिना देरी लोन उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने कहा कि किसी भी बैंक द्वारा अनावश्यक दस्तावेजों की मांग नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि इससे हितग्राहियों को परेशानी होती है और योजनाओं की गति प्रभावित होती है। उन्होंने यूनिफाइड सेट ऑफ डॉक्यूमेंट्स लागू करने पर जोर दिया, ताकि सभी बैंक एक समान दस्तावेजों के आधार पर शासकीय योजनाओं के ऋण प्रकरणों का निराकरण कर सकें। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि लोन स्वीकृति प्रक्रिया भी सरल और त्वरित होगी।

सीईओ ने बताया कि बैंकर्स और हितग्राहियों को एक साथ बुलाने का उद्देश्य दोनों के बीच मौजूद गैप को पहचानकर उसका समाधान निकालना है। उन्होंने समक्ष में सभी हितग्राहियों और बैंक अधिकारियों से चर्चा कर समस्याओं की वास्तविक स्थिति जानी।

बैठक में लीड बैंक अधिकारी श्री सी. पी. सिंह, आरबीआई, नाबार्ड के प्रतिनिधि, सभी बैंकों के नोडल अधिकारी तथा शासकीय ऋण योजनाओं से जुड़े विभागीय अधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सीईओ ने निर्देश दिए कि प्रत्येक बैंक अपने स्तर पर एक निश्चित दिन और समय निर्धारित करे, जिसमें हितग्राहियों के प्रकरणों का निराकरण किया जा सके। उन्होंने विभागवार लक्ष्यों की समीक्षा करते हुए कहा कि सभी विभाग समय सीमा के भीतर ऋण आवेदन बैंक में जमा करें और बैंक समयबद्ध तरीके से उनका निराकरण सुनिश्चित करें।

उन्होंने पीएमएफएमई, पशु एवं मत्स्य केसीसी, पीएम स्वनिधि सहित अन्य महत्वाकांक्षी योजनाओं के लक्ष्यों को इस वित्तीय वर्ष में पूर्ण करने के निर्देश दिए। सीईओ ने पीएम स्वनिधि योजना के हितग्राहियों से सीधे संवाद भी किया और उनकी समस्याओं को सुना।

अंत में, जिला पंचायत सीईओ ने दोहराया कि अनावश्यक दस्तावेजों की मांग और बार-बार हितग्राहियों को बैंक बुलाने की प्रथा समाप्त होनी चाहिए। इससे न केवल लाभार्थियों को त्वरित ऋण मिल सकेगा, बल्कि बैंकर्स को भी अपने लक्ष्य समय पर पूरा करने में मदद मिलेगी।

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