टीकमगढ़, 5 जुलाई 2025।
टीकमगढ़ जिले में मानसून की झमाझम बारिश जारी है और इस वर्ष अब तक हुई बारिश ने पिछले साल के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है। जिले में 1 जून से 4 जुलाई तक कुल 485.4 मिमी (19.1 इंच) औसत बारिश दर्ज की गई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में दर्ज 8.1 इंच बारिश की तुलना में करीब 11 इंच अधिक है।

पलेरा और बल्देवगढ़ में झमाझम बारिश
पिछले 24 घंटों के भीतर जिले में औसतन 34 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जिसमें सबसे ज्यादा पलेरा तहसील में 92 मिमी और बल्देवगढ़ में 50 मिमी बारिश हुई। अन्य तहसीलों में भी अच्छी बारिश दर्ज की गई:
- बड़ागांव धसान: 43 मिमी
- खरगापुर: 36 मिमी
- टीकमगढ़: 28 मिमी
- मोहनगढ़: 13 मिमी
- लिधौरा: 7 मिमी
- जतारा: 3 मिमी
वार्षिक लक्ष्य का आधे से अधिक हिस्सा पूरा
जिले का कुल वार्षिक औसत वर्षा लक्ष्य 1000 मिमी (40 इंच) निर्धारित है, जिसमें से अब तक लगभग 485.4 मिमी (19.1 इंच) वर्षा हो चुकी है। विभिन्न तहसीलों में अब तक हुई वर्षा का आंकड़ा इस प्रकार है:
- टीकमगढ़: 733 मिमी
- पलेरा: 693 मिमी
- मोहनगढ़: 573 मिमी
- खरगापुर: 453 मिमी
- बल्देवगढ़: 386 मिमी
- लिधौरा: 376 मिमी
- जतारा: 346 मिमी
- बड़ागांव धसान: 323 मिमी
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि कई तहसीलों ने अब तक औसत वार्षिक वर्षा के 50% से अधिक लक्ष्य को पार कर लिया है।
किसानों के लिए राहत के साथ मुश्किल भी
जहां एक ओर बारिश से खेतों में नमी बनी रहने से फसलों की बुवाई के लिए अनुकूल स्थिति बनी है, वहीं अत्यधिक बारिश के कारण कई खेतों में पानी भर गया है, जिससे खरीफ फसलों की बोवनी प्रभावित हो रही है।

किसान रामकुमार शर्मा ने बताया कि, “लगातार बारिश से खेतों में जलभराव हो गया है। इससे ट्रैक्टर चलाना मुश्किल हो रहा है और बोवनी में देरी हो रही है।” कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बारिश थोड़ी धीमी हो तो सोयाबीन, मूंग और उड़द जैसी फसलों की बोवनी तेजी से शुरू की जा सकती है।
तापमान में गिरावट, मौसम सुहावना
बारिश के चलते तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई है। शुक्रवार को अधिकतम तापमान 30 डिग्री और न्यूनतम तापमान 24.8 डिग्री सेल्सियस रहा। बादल छाए रहने से धूप नहीं निकली और मौसम पूरे दिन ठंडा और आरामदायक बना रहा।
टीकमगढ़ जिले में अब तक हुई बारिश ने मानसून की अच्छी शुरुआत का संकेत दिया है। हालांकि, अधिक बारिश से किसानों को बोवनी में असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन और कृषि विभाग को चाहिए कि जलभराव वाले क्षेत्रों की निगरानी करते हुए किसानों को तकनीकी सहयोग और मार्गदर्शन प्रदान करें, ताकि फसल चक्र में व्यवधान न आए और अच्छी पैदावार सुनिश्चित हो सके।
ब्यूरो रिपोर्ट रिपब्लिक सागर मीडिया !
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