शिक्षा के मंदिर आज मौत के साये में तब्दील हो गए हैं। शाहगढ़ विकासखंड की शासकीय माध्यमिक शाला और प्राथमिक शाला, रामपुर की जर्जर हालत बच्चों के भविष्य को नहीं, उनकी जान को खतरे में डाल रही है। छतों से टपकता पानी, कमजोर दीवारें और छतों से गिरती सीमेंट की परतें—यह किसी त्रासदी का संकेत मात्र नहीं, बल्कि रोजमर्रा की हकीकत है, जिसमें 186 छात्र-छात्राएं अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं।

जर्जर भवन, टपकती छतें और डर का साया
दोनों शालाओं में कुल 10 कमरे हैं, लेकिन एक भी कक्षा बच्चों के बैठने योग्य नहीं बची है। बारिश के दौरान छतें टपकती हैं, जिससे किताबें और पढ़ाई का सामान भीग जाता है। शासकीय माध्यमिक शाला में अध्ययनरत छात्र मनीष यादव, साक्षी यादव, नवीन यादव और अन्य विद्यार्थियों ने बताया कि वे आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं हैं कि निजी स्कूलों में पढ़ाई कर सकें। मजबूरीवश उन्हें टूटती-गिरती छतों के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है।
मिड डे मील किचन शेड भी खतरे में
स्थिति केवल कक्षाओं तक सीमित नहीं है। विद्यालय का रसोईघर (किचन शेड) भी जर्जर हालत में है। न तो उसमें दरवाजे हैं, न ही मजबूत छत। इससे बच्चों को मिलने वाले मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता और सुरक्षा भी सवालों के घेरे में है।

पंचायत और ग्रामीणों ने कई बार की शिकायतें
ग्राम पंचायत रामपुर के सरपंच रानू राजा ने बताया कि उन्होंने बीआरसी और जनपद पंचायत को कई बार लिखित में सूचना दी है। बावजूद इसके, अब तक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा तक नहीं लिया। ग्रामीणों—राजेश यादव, भैयालाल, रक्षपाल, गोविंद यादव, धर्मेन्द्र राजा और मोनू का कहना है कि बारिश के समय जब बच्चे स्कूल में होते हैं, तो हमेशा अनहोनी की आशंका बनी रहती है। वे चाहते हैं कि बच्चों को सुरक्षित भवन मिले, ताकि उन्हें शिक्षा के लिए जान का खतरा न उठाना पड़े।

जमींदोज किए गए 17 कक्ष, निर्माण शुरू नहीं
पिछले सत्र में 17 कक्षों को जर्जर बताकर गिरा दिया गया, लेकिन आज तक उनके पुनर्निर्माण की कोई पहल नहीं हुई। यह विभागीय असंवेदनशीलता और लापरवाही की पराकाष्ठा है। यह योजना नहीं, बच्चों के भविष्य के साथ भयानक खिलवाड़ है।

प्रशासन का दावा—जांच कराएंगे, समाधान होगा
जब इस मामले में अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया गया तो एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा—”आपके माध्यम से अवगत हुआ हूं, तत्काल शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से बात कर जांच कराऊंगा। जहां-जहां इस तरह की समस्याएं हैं, वहां की सूची बनाकर कार्रवाई की जाएगी और हर संभव समाधान सुनिश्चित किया जाएगा।”