छिंदवाड़ा, 20 अगस्त 2025।
कांग्रेस का बहुचर्चित किसान बचाओ आंदोलन बुधवार को छिंदवाड़ा में एक बड़े राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के रूप में उभरा। जेल बगीचे में आयोजित इस विशाल आंदोलन में प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और छिंदवाड़ा के पूर्व सांसद नकुलनाथ सहित कांग्रेस के कई दिग्गज नेता मंच पर मौजूद रहे।

किसान और आदिवासी मुद्दों पर सियासी गहमागहमी
कांग्रेस ने इस आंदोलन को प्रदेश स्तर का बड़ा आयोजन बताते हुए दावा किया कि मौजूदा भाजपा सरकार किसानों की समस्याओं और आदिवासी जमीन के सवाल को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर रही है। नेताओं ने मंच से जोर देकर कहा कि प्रदेश का किसान कर्ज, महंगे डीजल और खाद संकट से जूझ रहा है, वहीं आदिवासियों की जमीन को बचाना अब “अस्तित्व का सवाल” बन चुका है।
सभा स्थल पर मौजूद हजारों कार्यकर्ताओं ने “कलेक्टर-सांसद भाई-भाई, जमीन बेच के खाई-खाई” जैसे नारे लगाए, जिससे आंदोलन का माहौल और तीखा हो गया।

ट्रैक्टर रैली से दमदार एंट्री
प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आए कांग्रेस कार्यकर्ता झंडे और बैनर लेकर रैली निकालते हुए सभा स्थल पहुंचे। खास बात यह रही कि किसान बड़ी संख्या में ट्रैक्टर रैली के साथ पहुंचे, जिसने आंदोलन को एक जमीनी स्वरूप दिया।
51 हजार वर्गफीट में तैयार हुआ विशाल पंडाल
आयोजन को लेकर पार्टी ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
- 51 हजार वर्गफीट क्षेत्र में विशाल पंडाल खड़ा किया गया।
- 10 हजार कुर्सियां लगाई गईं, जबकि 3 हजार अतिरिक्त कुर्सियां भी तैयार रखी गईं।
- मंच की ऊँचाई 6 फीट रखी गई, जिस पर लगभग 80 नेताओं के बैठने की व्यवस्था रही।
- 10×30 फीट की बड़ी एलईडी स्क्रीन मंच पर लगाई गई, जबकि जनता के लिए दो और बड़ी स्क्रीन की व्यवस्था की गई ताकि दूर बैठे लोग भी कार्यक्रम देख सकें।
- चार भव्य स्वागत द्वार बनाए गए। वीआईपी प्रवेश जवाहर शाला के सामने से और आमजन के लिए अलग-अलग गेट से प्रवेश की व्यवस्था की गई।

सुरक्षा और यातायात की विशेष तैयारी
प्रशासन ने इस विशाल आंदोलन के लिए विशेष इंतज़ाम किए।
- यातायात निरीक्षक राकेश तिवारी ने बताया कि सभा स्थल आने वाले वाहनों के लिए अलग-अलग पार्किंग स्थल चिह्नित किए गए हैं।
- जरूरत पड़ने पर सत्कार चौक से कलेक्ट्रेट मार्ग और शुक्ला ग्राउंड से कलेक्ट्रेट मार्ग को डायवर्ट किया जाएगा।
- शहर के चारों ओर से आने वाले वाहनों के लिए अलग-अलग पार्किंग व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

आंदोलन का राजनीतिक संदेश
कांग्रेस नेताओं ने मंच से साफ किया कि यह सिर्फ किसान आंदोलन नहीं, बल्कि प्रदेश सरकार की नीतियों के खिलाफ एक “जन आंदोलन” है। जीतू पटवारी और उमंग सिंघार ने कहा कि यदि किसानों की आवाज़ को नजरअंदाज किया गया, तो कांग्रेस सड़कों पर उतरकर हर जिले में इस तरह के आंदोलन करेगी। वहीं, नकुलनाथ ने आदिवासी मुद्दों को छिंदवाड़ा की अस्मिता से जोड़ा और कहा कि यह लड़ाई लंबी चलेगी।
👉 छिंदवाड़ा का यह आंदोलन कांग्रेस के लिए सिर्फ किसान और आदिवासी सवाल नहीं, बल्कि आगामी राजनीतिक समीकरणों की तैयारी भी माना जा रहा है।