घटना का विवरण: संसद के शीतकालीन सत्र का आज 12वां दिन था, जब राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर हंगामा हुआ। विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि सभापति धनखड़ पक्षपाती तरीके से सदन की कार्यवाही चला रहे हैं और विपक्षी सांसदों को बोलने का अवसर नहीं दिया जा रहा है। इस कारण विपक्षी दलों ने 10 दिसंबर को राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, जिसमें 60 सांसदों के हस्ताक्षर थे। हालांकि, इस पर सदन में विवाद और हंगामे के बाद कार्यवाही स्थगित कर दी गई और इसे 12 दिसंबर तक के लिए टाल दिया गया।

विपक्ष का आरोप: विपक्षी सांसदों का आरोप है कि सभापति धनखड़ पक्षपाती हैं और विपक्षी दलों के सांसदों को अपनी बात रखने का मौका नहीं देते। विपक्ष ने यह भी कहा कि धनखड़ की कार्यप्रणाली से सदन की गरिमा को नुकसान पहुँच रहा है। इसके विरोध में, 10 दिसंबर को विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के जनरल सेक्रेटरी पीसी मोदी को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। इस नोटिस में विपक्षी दलों ने धनखड़ के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
सरकार की प्रतिक्रिया: वहीं, सरकार की ओर से प्रतिक्रिया भी आई है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि 72 साल बाद एक किसान के बेटे को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में चुना गया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष ने सदन की गरिमा को गिराया है और इसके बजाय, वह केवल राजनीतिक लाभ के लिए इस तरह के मुद्दे उठा रहे हैं। रिजिजू ने यह भी पूछा कि कांग्रेस को जॉर्ज सोरोस के साथ अपने रिश्ते के बारे में जवाब देना चाहिए, और कहा कि कांग्रेस को देश से माफी मांगनी चाहिए।
भा.ज.पा. अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया और कहा कि विपक्षी दलों द्वारा उठाए जा रहे सवालों का उद्देश्य केवल राजनीतिक लाभ प्राप्त करना है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जॉर्ज सोरोस का कांग्रेस से क्या संबंध है, यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है क्योंकि यह देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा से जुड़ा है।

प्रियंका गांधी का बयान: वहीं, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी सरकार पर हमला बोला और कहा कि विपक्षी दल हर दिन सदन में चर्चा की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सरकार किसी न किसी बहाने से सदन की कार्यवाही को स्थगित कर देती है। प्रियंका ने यह भी कहा कि उनका प्रदर्शन बाहर हो रहा है क्योंकि सरकार को चर्चा करने में कोई रुचि नहीं है।
विपक्षी दलों की एकजुटता: विपक्षी दलों के इस आक्रामक रुख के बाद, भारतीय राष्ट्रीय विकास गठबंधन (INDIA) ब्लॉक ने सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे संबोधित करेंगे। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में विपक्षी नेताओं ने सरकार की नीतियों और सदन की कार्यवाही के बारे में अपनी चिंताओं को व्यक्त किया और धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लोकतांत्रिक अधिकार के रूप में पेश किया।

भविष्य की संभावना: राज्यसभा में इस हंगामे के बाद यह साफ है कि दोनों पक्षों के बीच गतिरोध बना रहेगा। सरकार और विपक्ष के बीच इस मुद्दे पर तनाव बढ़ सकता है, और यह स्थिति संसद के बाकी सत्र में और अधिक कड़ा संघर्ष उत्पन्न कर सकती है। विपक्षी दलों का कहना है कि वे सदन में महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस चाहते हैं, जबकि सरकार और उसके समर्थक इस आरोप को राजनीति से प्रेरित बताते हैं।
संसद के इस शीतकालीन सत्र में इन विवादों के चलते कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका है, और यह घटनाक्रम आगे और जटिल हो सकता है। विपक्षी दलों के अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार की प्रतिक्रिया और विपक्ष की स्थिति इस बात पर निर्भर करेगी कि किस तरह से सदन में विवाद को शांत किया जाता है और दोनों पक्षों के बीच संतुलन कैसे स्थापित किया जाता है।